Lesson 6 : OUR INDIAN MUSIC – STORIES AND ANECDOTES – R. Srinivasan
UP Board 10th English book lesson 6 Our Indian Music – Stories and Anecdotes written by R. Srinivasan. You can download Full Hindi Translation with Question Answers of ‘Our Indian Music – Stories and Anecdotes’ written by ‘R. Srinivasan’ on this page.
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Our Indian Music – Stories And Anecdotes Translation in Hindi
PARA – 1
The history of Indian music is brimming with stories and anecdotes. Why the very origin of music and other fine arts is in itself a story. The creator, Brahma, made this universe. He created a variety of wonderfully beautiful and enchanting things.
Hindi Translation – भारतीय संगीत का इतिहास कथाओं और अंतर्कथाओं से ओत-प्रोत है | कारण यह है कि संगीत और ने ललित कलाओं की उत्पत्ति स्वयं में एक कहानी है | सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने इस ब्रह्माण्ड की रचना की | उन्होंने अनेक प्रकार की अद्भुत रूप से सुन्दर और मोहक वस्तुओं की रचना की |
PARA – 2
He created the majestic mountain ranges, the thundering waterfalls and the giant forest trees, as also the nimble deer, the colourful peacocks and the exquisite flowers. He filled his creation with beauty, charm and splendour. But he was sad. His consort Saraswati asked him the reason for his sadness.
Hindi Translation – उन्होंने शानदार पर्वत श्रृंखलाएं, शोर करते झरने और विशालकाय जंगली-वृक्ष, चपल हिरन, बहुरंगे मोर और सुन्दर पुष्प बनाए | उन्होंने अपनी सृष्टि को सुन्दरता, आकर्षण और वैभव से भर दिया | लेकिन वे उदास थे | उनकी पत्नी सरस्वती ने उनकी उदासी का कारण पूछा |
PARA – 3
Brahma said, “It is true I have created all this wonder and charm and showered beauty everywhere. But what is the use? My children, the human souls, simply pass them by; they do not seem to be sensitive to the beauty around. It seems to have been wasted on them, this creation sees to be purposeless.”
Hindi Translation – ब्रह्मा ने कहा, “यह सत्य है कि मैंने इस समस्त अद्भुत और मोहक सृष्टि की रचना की है और उसमें सर्वत्र सौदंर्य बिखेर दिया है लेकिन इसका क्या लाभ है? मेरे बच्चे, मानव आत्माएं इनके समीप से गुजर जाते हैं, वे अपने चारों ओर फैली सुन्दरता के प्रति संवेदनशील नहीं दिखाई देते | लगता है कि सारी सुन्दरता उनके लिए व्यर्थ रही है, यह सृष्टि उद्देश्यहीन प्रतीत होती है |
PARA – 4
Saraswati understood his feelings and told him, “Well, let me do my share in the great work. You have created all this beauty and splendour; I shall create in our children the power to respond, to appreciate and be uplifted by them. I shall give them music and other arts which will draw out from deep within them the capacity to respond to the majestic splendour and exquisite charm and wondrous beauty of all creations.”
Hindi Translation – सरस्वती ने उनकी भावनाओं को समझा और उनसे कहा, “इस महान कार्य में मुझे अपना अंशदान करने दीजिए | आपने इस समस्त सौन्दर्य और वैभव की रचना की है, मैं अपने बच्चों में उनसे प्रभावित होने, उनकी प्रशंसा करने तथा उनसे प्रेरित होकर ऊँचा उठने की क्षमता पैदा कर दूंगी | मैं उन्हें संगीत और अन्य कलाएं दूंगी, जो उनके अन्दर इस सारी सृष्टि के शानदार वैभव, असीम आकर्षण तथा अद्भुत सौन्दर्य को पहचानने तथा प्रतिदन करने की क्षमता प्रदान करेंगे”
PARA – 5
The great muse then gave us music and the other fine arts, in the hope that through them man would understand something of the Divine in his manifestation. A strange story? Yes, but it has a great moral.
One of the basic truths on which all Indian art is developed is that true art is never made to order; it comes as a result of an irresistible inner urge.
Hindi Translation – तब कला की अधिष्ठात्री देवी ने हम मानवों को संगीत तथा अन्य ललित-कलाएं इस आशा के साथ दीं कि इनके द्वारा मनुष्य अपने संसार के दैवीय अंश को समझने लगेगा | विचित्र कहानी है न? हाँ, परंन्तु इसमें एक महान नैतिक शिक्षा भी है |
एक मौलिक सत्य जिस पर समस्त भारतीय कला विकसित हुई है, यह है की सच्ची कला का सृजन, जो किसी के आदेशानुसार नहीं किया जा सकता; यह तो किसी अबाध आंतरिक प्रेरणा के फलस्वरूप उत्पन्न होता है |
PARA – 6
We hear a song of Thyagaraja and are enthralled, we see a majestic temple tower and gaze on it with wonder; we see some of our ancient sculptures and feel thrilled. Why? Behind all such works of art is a great spiritual urge. The artists who gave them to us poured their devotion into the shape of such exquisite works of art; it was an act of self-effacing dedication.
Hindi Translation – हम त्यागराज का गीत सुनते हैं और प्रफुल्लित हो जाते हैं; हम किसी मंदिर का वैभवशाली शिखर देखते हैं और उसे आश्वर्य से निहारते रह जाते हैं; हम अपनी कुछ प्राचीन मूर्तियों को देखते हिं और रोमांचित हो जाते हैं, क्यों? इन सभी कलाकृतियों के पीछे एक महान आध्यात्मिक प्रेरणा है | जिन कलाकारों ने हमें ये (कलाकृतियाँ) दीं, उन्होंने अपनी पूर्ण समर्पण भावना को इन उत्तम कलाकृतियों के रूप में उड़ेल दिया है; और स्वयं को भुलाकर कार्य के साथ एकाकार हो, यह सार्थकता प्राप्त की |
PARA – 7
A story is told of Tansen, the great bard of Akbar’s court, which illustrates this point vividly. Tansen was a great musician and Akbar was very fond of his music. One day when Tansen was in particularly good form, Akbar went into ecstasy and asked him, “What is the secret of this sweet concord of notes which takes me out of this world and transports me to Divine regions? I have not heard anyone else who can thus cast a spell of magic and make a slave of our hearts. You are really wonderful, Tansen.
Hindi Translation – तानसेन, जो अकबर के दरबार के एक महान संगीतज्ञ थे, के विषय में एक कहानी कही जाती है, जो इस तथ्य को अधिक स्पष्ट कर देती है | तानसेन एक महान संगीतज्ञ थे और अकबर को उनके संगीत से अत्यधिक प्रेम था | एक दिन जब तानसेन विशेष रूप से अच्छा गा रहे थे, अकबर आनंद विभोर हो गए और उनसे पूछा, “इन मधुर स्वरों के समन्वय का क्या रहस्य है, जो मुझे इस संसार से ले जाकर अलौकिक जगत में पहुंचा देते हैं? मैं किसी बी अन्य व्यक्ति से इस प्रकार का गायन नहीं सुना है, जो मन्त्र-मुग्ध कर दे और हमारे ह्रदयों को अपना दास बना ले | तानसेन, तुम सचमुच अद्भुत हो”
PARA – 8
The great bard replied, “Sir, I am only a humble pupil of my master, Swami Hari Das; I have not mastered even a fraction of the master’s technique, grace and charm. What am I beside him whose music is a rhythmic flow of Divine harmony, beauty and charm in sound?”
Hindi Translation – महान संगीतज्ञ ने उत्तर दिया, “महाराज, मैं तो अपने गुरु स्वामी हरिदास का तुच्छ शिष्य हूँ; मैं तो अभी अपने गुरु की शैली, सौन्दर्य और जादू का एक अंश-मात्र भी नहीं सिख पाया हूँ | मैं भला उनके समक्ष क्या हूँ जिनके संगीत में दैवीय सुर, सौन्दर्य तथा स्वर के आकर्षण का एक लयबद्ध प्रवाह है?”
PARA – 9
“What! The emperor cried, “Is there one who can sing better than you? Is your master such a great expert?”
“I am but a pigmy by my master’s side,” said Tansen.
Hindi Translation – “क्या कहा?” सम्राट चिल्ला पड़े, “क्या कोई ऐसा भी व्यक्ति है जो तुमसे अच्छा गा सकता है? क्या तुम्हारे गुरु इतने महान गायक हैं?”
“मैं तो अपने गुरु की तुलना में केवल एक बौने के समान हूँ” तानसेन ने कहा |
PARA – 10
Akbar was greatly intrigued; he wanted to hear Hari Das, emperor though he was, he could not get Hari to his court. So he and Tansen went to the Himalayas where in his ashrama dwelt the Swami. Tansen had already warned Akbar that the Swami would sing only if he wanted to.
Hindi Translation – अकबर के मन में बड़ी जिज्ञासा पैदा हो गई, वे हरिदास का संगीत सुनना चाहते थे परन्तु सम्राट होने के बावजूद वे हरिदास को अपने दरबार में नहीं बुला सकते थे | अत: वे तथा तानसेन हिमालय पर गए जहाँ स्वामी जी अपने आश्रम में रहते थे | तानसेन ने अकबर को पहले से ही सचेत कर दिया था कि स्वामी जी केवल तभी गाएंगे जब उनकी इच्छा होगी |
PARA – 11
Several days they stayed at the ashrama, but the Swami did not sing. Then, on day Tansen sang on of the songs taught by the Swami and deliberately introduced a false note. It had almost an electric effect on the saint; his aesthetic nature received a rude shock. He turned to Tansen and rebuked him, saying, “What has happened to you, Tansen, that you, a pupil of mine, should commit such a gross blunder?”
He then started singing the piece correctly; the mood came upon him and enveloped him and he forgot himself in the music, which filled the earth and heaven. Akbar and Tansen forgot themselves in the sheer melody and charm of the music.
Hindi Translation – वे दोनों कई दिनों तक आश्रम में ठहरे रहे परन्तु स्वामी जी ने नहीं गाया | फिर एक दिन तानसेन ने एक गीत गाया, जो उन्होंने स्वामी जी से सिखा था और जानबूझकर गलत स्वर का प्रयोग किया | इसका उस संत पर झंकृत कर देने वाला प्रभाव पड़ा, “तुम्हे क्या हो गया है, तानसेन, की मेरे शिष्य होकर होकर तुम इतनी बड़ी गलती कर रहे हो?”
फिर उन्होंने उसी गीत के अंश को सही ढंग से गाना प्रारंभ कर दिया; गायन की मन; स्थिति ने उन्हें आ घेरा और उस संगीत ने उन्हें ऐसा लपेटा कि वह संगीत में स्वयं को भूल गए | उनका संगीत पृथ्वी और आकाश में फ़ैल गया | अकबर और तानसेन भी संगीत की सहज मधुरता और जादू में स्वयं को भूल गए |
PARA – 12
It was a unique experience. When the music stopped, Akbar turned to Tansen and said, “You say you learnt music form this saint and yet you seem to have missed the living charm of it all. Yours seems to be but chaff beside this soul-stirring music.”
Hindi Translation – यह अद्वितीय अनुभव था | जब संगीत रुका, अकबर तानसेन की ओर घुमे और कहा, “तुम कहते हो तुमने इस संत से संगीत सिखा और फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि तुम संगीत के जीवंत जादू का स्पर्श नहीं कर पाए | तुम्हारा गायन तो इस आत्मा को आंदोलित कर देने वाले संगीत की तुलना में भूसी मात्र (बेकार वस्तु) है |
PARA – 13
“It is true, Sir,” said Tansen. “It is true that my music is wooden and lifeless by the side of the living harmony and melody of the master. But then there is this difference – I sing to the emperor’s bidding, but my master sings to no man’s bidding but only when the prompting comes from this innermost self. That makes all the difference.”
Hindi Translation – “यह सत्य है, महाराज” तानसेन ने कहा, “यह सत्य है कि मेरा संगीत गुरु जी के जीवंत व् मधुर संगीत की अपेक्षा काष्ठवत व् निर्जीव है | परन्तु यहाँ एक अंतर है – मैं सम्राट की आज्ञा से गता हूँ, लेकिन मेरे गुरु जी किसी मनुष्य के आदेश से नहीं गाते, वे केवल तभी गाते हैं, जब उनके अंतर्मन से उन्हें प्रेरणा मिलती है | इस अंतर का मुख्य कारण यही है |
Our Indian Music – Stories And Anecdotes Question Answer
Short Answer Type Questions
Q1. Who are Brahma and Saraswati?
(ब्रह्मा और सरस्वती कौन हैं?)
Ans. Brahma is the creator of this universe. Saraswati is the creator of music and fine arts. She created among men the power to appreciate beauty. They are husband and wife.
(ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं | सरस्वती ललित कलाओं तथा संगीत की रचयिता हैं | उन्होंने मनुष्य में सुन्दरता को सराहने की क्षमता प्रदान की | दोनों आपस में पति-पत्नी हैं)
Q2. Who has created this universe?
(ब्रह्माण्ड की रचना किसने की?)
Ans. Brahma has created this universe.
(ब्रह्मा ने इस ब्रह्माण्ड की रचना की है)
Q3. What has Brahma created in this universe?
(ब्राह्मण ने इस ब्रह्माण्ड में क्या रचना की?)
Ans. Brahma has created in this universe the mountains, waterfalls, trees, flowers and animals like deer.
(ब्रह्मा ने इस ब्रह्माण्ड में क्या रचना की?)
Q4. Why did Brahma become sad?
(ब्रह्मा दुखी क्यों हो गए?)
Ans. Brahma became sad because his children, human souls did not take any interest in his beautiful creation.
(ब्रह्मा दुखी हो गए क्योंकि उनके बच्चे, मानव जाति उनकी सुन्दर सृष्टि के प्रति संवेदनशील नहीं थे)
Q5. What is the importance of music and fine arts in this universe?
(इस ब्रह्माण्ड में ललित कलाओं तथा संगीत का क्या महत्व है?)
Ans. The music and fine arts are very important in this universe. Music and fine arts creat in the human being to power to respond to the beauty of the universe.
(ललित कला तथा संगीत इस ब्रह्माण्ड में बहुत महत्वपूर्ण हैं | ललित कला तथा संगीत मानुष में ब्रह्माण्ड की सुन्दरता का प्रयुत्तर देने की शक्ति उत्पन्न करते हैं)
Q6. Why do a work of art thrill and awe us?
(एक कलाकृति हमें क्यों रोमांचित करती है और विस्मय में क्यों डालती है?)
Ans. A work of art thrills and awes us because there is a great spiritual urge of the artist behind it. The artist pours all his devotion to perform his art.
(एक कलाकृति हमें इस कारण रोमांचित करती है और विस्मय में डालती है क्योंकि इसके पीछे कलाकार की गहरी आध्यात्मिक प्रेरणा होती है | कलाकार अपनी कला के प्रदर्शन में पूर्ण निष्ठावान हो जाता है)
Q7. On which basic truth, all Indian art is developed?
(किस मौलिक सत्य पर सम्पूर्ण भारतीय कला विकसित हुई है?)
Ans. One of the basic truths on which all Indian art is developed is that true art is never made to order but it comes as an irresistible inner urge.
(सम्पूर्ण भारतीय कला एक मौलिक सत्य पर विकसित हुई है कि यह आदेश देने पर नहीं आती बल्कि यह तो एक अबाध आंतरिक प्रेरणा से आती है)
Q8. Who was Swami Hari Das?
(स्वामी हरिदास कौन थे?)
Ans. Swami Hari Das was Tensen’s master. He lived an ashram in the Himalayas.
(स्वामी हरिदास तानसेन के गुरु थे | वे हिमालय में एक आश्रम में रहते थे)
Q9. What did Tansen tell Akbar about Swami Hari Das?
(तानसेन ने अकबर को स्वामी हरिदास के बारे में क्या बताया?)
Ans. Tansen told Akbar that Swami Hari Das’s music is a rhythmic flow of Divine harmony, beauty and charm in sound.
(तानसेन ने अकबर को बताया कि स्वामी हरिदास का संगीत ईश्वरीय मधुरता, सौन्दर्य और जादू का एक लयबद्ध प्रवाह है)
Q10. Why was Akbar eager to meet Hari Das?
(अकबर हरिदास से मिलने के लिए क्यों उत्सुक थे?)
Ans. Tansen told Akbar that he was nothing before his Guru. At this Akbar became eager to meet Hari Das.
(तानसेन ने अकबर को बताया कि वे अपने गुरु के समक्ष कुछ भी नहीं हैं | इस पर अकबर हरिदास से मिलने के लिए उत्सुक हो गए थे)
Q11. Why did Akbar and Tansen go to the Himalayas?
(अकबर और तानसेन हिमालय की ओर क्यों गए?)
Ans. Akbar wanted to head music of Swami Hari Das but he could not get him to his court. So he and Tansen went to the Himalayas where Swamiji lived in his ashram.
(अकबर स्वामी हरिदास का गायन सुनना चाहते थे, परन्तु वे उन्हें अपने दरबार में नहीं बुला सकते थे | अत: अकबर और तानसेन स्वामी जी के आश्रम में हिमालय की ओर गए)
Q12. What warning was given to Akbar by Tansen?
(तानसेन ने अकबर को क्या चेतावनी दी थी?)
Ans. Tansen warned Akbar that Swamiji would sing only if he wanted to.
(तानसेन ने अकबर को चेतावनी दी थी कि स्वामी जी केवल तभी गाएंगे जब वे चाहेंगे)
Q13. How was Akbar’s wish fulfilled?
(अकबर की इच्छा कैसे पूर्ण हुई?)
Ans. Akbar wished to hear the music of Hari Das. He fulfilled his wish by going to the ashram of Swamiji himself with Tansen.
(अकबर की इच्छा हरिदास का संगीत सुनने की थी | उन्होंने तानसेन के साथ स्वयं स्वामी जी के आश्रम में जाकर अपनी इच्छा पूरी की)
Q14. What was the impact of Swamiji’s singing on Kabar?
(स्वामी जी के गायन का अकबर पर क्या प्रभाव पड़ा?)
Ans. The impact of Swamiji’s singing on Akbar was that he forgot himself in the sheer melody and charm of the music.
(स्वामी जी के गायन का अकबर पर यह प्रभाव पड़ा कि वे संगीत से ओत-प्रोत लय-माधुर्य तथा जादू में स्वयं को भूल गए)
Q15. Why was Swamiji’s music soul-stirring?
(स्वामी जी का संगीत आत्मा को झकझोरने वाला क्यों था?)
Ans. Swamiji’s music was soul-stirring because he sang due to his inner urge.
(स्वामी जी का संगीत आत्मा कोई झकझोरने वाला था इसलिए क्योंकि वे अपनी आंतरिक प्रेरणा के कारण गाते थे)
Long Answer Type Questions
Q1. What did Brahma create in the universe?
(ब्रह्मा ने ब्रह्माण्ड में क्या रचना की?)
Ans. The creator Brahma made his universe. He created a variety of wonderfully beautiful and delightful things. He created the majestic mountain ranges, the thundering waterfalls and the giant forest trees, as also the nimble deer, the colourful peacock and of great excellence flowers. He filled his creation with beauty, charm and splendour.
(रचनाकार ब्रह्मा ने इस ब्रह्माण्ड को बनाया | उन्होंने अनेक प्रकार की अद्भुत रूप से सुन्दर तथा मंत्रमुग्ध कर देने वाली वस्तुएं बनाई | उन्होंने बड़े आकार की पर्वत श्रृंखलाएं, शोर करते हुए झरने और बड़े आकर के जंगली वृक्ष बनाए और फुर्तीले हिरन, रंगबिरंगे मोर और सुन्दर फुल भी बनाए | उन्होंने सृष्टि को सुन्दरता, आकर्षण तथा वैभव से भर दिया)
Q2. Why did Brahma fell that all his creation were purposeless?
(ब्रह्मा ने क्यों महसूस किया कि उनकी सृष्टि उद्देश्यहीन थी?)
Ans. Brahma created this universe. He created a lot of beautiful and enchanting things. He created majestic mountains, thundering waterfalls, large forests and beautiful birds, animals and flowers. Thus he filled his creation with beauty and splendour.
(ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की | उन्होंने बहुत-सी सुन्दर तथा आकर्षक चीजों की रचना की | उन्होंने विशाल पर्वत, शोर करते झरने, बड़े-बड़े वन और सुन्दर पशु तथा पुष्प बनाए | इस प्रकार उन्होंने अपनी सृष्टि को सौन्दर्य तथा वैभव से भर दिया)
But his children, the human beings were not sensitive to the beauty around them. So he was sad. He felt that his creation was purposeless.
(परन्तु उनके बच्चो, मानव जाति, के चारो ओर जो सौन्दर्य फैला हुआ था, वे (मनुष्य) संवेदनशील नहीं थे | अंत: वे (ब्रह्मा) उदास थे | उन्होंने महसूस किया कि उनकी सृष्टि उद्देश्यहीन है)
Q3. Who solved Brahma’s problem and how?
(ब्रह्मा की समस्या का समाधान किसने किया और कैसे?)
Ans. After creating the universe, Brahma felt that his creation was purposeless because human souls did not seem to be sensitive to the beauty of his creation. So he was sad.
(सृष्टि की रचना करने के बाद ब्रह्मा ने अनुभव किया कि सृष्टि की रचना निर्रथक रही, क्योंकि मनुष्य ने इस सुन्दर रचना के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई | इसलिए वे दुखी थे)
His wife Saraswati understood his feelings. She conceived and idea to remove his sadness. She created music and fine arts. She created the power to respond to this beauty through music. She filled man with this power. Thus the human beings began to take interest in the creation of Brahma. Then Brahma became happy.
(उनकी पत्नी सरस्वती उनकी भावनाओं को समझ गईं | उन्होंने उनके दुःख को दूर करने की योजना बनाई | उन्होंने संगीत तथा ललित कलाओं की रचना की | उन्होंने संगीत के द्वारा इस सुन्दरता का प्रत्युत्तर देने की शक्ति की रचना की | उन्होंने मानुष को इस शक्ति से भर दिया | इस प्रकार मानव जाति ने ब्रह्मा की सृष्टि में रूचि लेनी आरंभ कर दी | तब ब्रह्मा प्रसन्न हो गए)
Q4. Why does a work of art thrill us?
(कलाकृतियाँ हमें रोमांचित क्यों कर देती हैं?)
Ans. When we see a great work of art, a majestic temple, tower or an ancient sculpture, we are thrilled and left spellbound because of the great spiritual urge behind it. An exquisite work of art is produced by the devotion of the artist. Indian art is an act of self-effacing dedication.
(जब हम कला का कोई विशिष्ट कार्य, एक भव्य मंदिर, मीनार या प्राचीन शिल्पकला देखते हैं, तो हम रोमांचित हो जाते हैं और वह हमें मंत्र-मुग्ध कर देता है, क्योंकि उसके पीछे विशिष्ट मानसिक प्रेरणा होती है | कला का बहुत ही सुन्दर कार्य कलाकार के समर्पण द्वारा उत्पन्न होता है | भारतीय कला मौन-समर्पण का प्रतिक है)
The Indian artist pours their devotion in their art.
(भारतीय कलाकार अपने समर्पण को अपनी कला में उड़ेल देता है)
Q5. Who was Swami Hari Das? Why was Akbar eager to hear him?
(स्वामी हरिदास कौन थे? अकबर उनका संगीत सुनने के लिए क्यों उत्सुक थे?)
Ans. Swami Hari Das was the Guru of great musician Tansen. He lived in an ashram in Himalaya.
(स्वामी हरिदास महान संगीतज्ञ तानसेन के गुरु थे | वे हिमालय में एक आश्रम में रहते थे)
One day Tansen gave a very good performance in the court of emperor Akbar. Akbar went into ecstasy. He asked Tansen, “What is the secret of his sweet concord of notes which takes me out of this world and transports me to Divine regions? I have not heard anyone else who can thus cast a spell of magic and make a slave of our hearts. You are really wonderful, Tansen.”
(एक दिन तानसेन ने अकबर के दरबार में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन दिखाया | अकबर परम आनंद में लीन हो गया | उसने तानसेन से पुचा, “इस स्वर-माधुर्य का क्या रहस्य है, जो मुझे इस संसार से बाहर निकल ले गया और मुझे ईश्वरीय क्षेत्र में छोड़ दिया | मैंने कभी किसी अन्य व्यक्ति का ऐसा संगीत नहीं सुना, जो इस प्रकार का जादू कर देता है और ह्रदय को गुलाम बना देता है | तानसेन, तुम वास्तव् में आश्चर्यजनक हो”)
Tansen said that he was only a humble pupil of his master, Swami Hari Das. He had not mastered even a fraction of his master’s technique, grace and charm.
(तानसेन ने कहा कि वह अपने स्वामी हरिदास का तुच्छ शिष्य मात्र है | उसने अपने गुरु की तकनीक, सौन्दर्य तथा आकर्षण का थोडा-सा हिम्मत भी प्राप्त नहीं किया है)
Akbar was surprised to know that there was one who could sing better than Tansen. This made Akbar eager to hear Swami Hari Das.
(अकबर आश्चर्यचकित हुआ कि क्या कोई तानसेन से बेहतर गा सकता है | इससे अकबर स्वामी हरिदास का संगीत सुनने के लिए उत्सुक हो गए)
Q6. How was Akbar’s wish fulfilled?
(अकबर की इच्छा कैसे पूर्ण हुई?)
Ans. Akbar wished to hear the music of Swami Hari Das. Tansen told Akbar that he was nothing before his Guru. At this Akbar became anxious to hear his Guru. But he could not fulfil his wish because Swami Hari Das would not come to his court.
(अकबर की इच्छा स्वामी हरिदास का संगीत सुनने की थी | तानसेन ने अकबर कोई बताया था कि वह अपने गुरु के सामने कुछ भी नहीं है | इस पर अकबर उनके गुरु को सुनने के लिए उत्सुक हुए | लेकिन वे अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सकते थे क्योंकि स्वामी हरिदास उनके दरबार में नहीं आ सकते थे)
So Akbar and Tansen went to Swamiji’s ashram in the Himalayas to hear his song. They stayed at ashram several days but he did not sing. So Tansen player a trick to make his Guru sing. He sang a false note knowingly. His Guru could not bear it. He rebuked Tansen that his pupil could commit such vulgarity and began to sing himself. Thus Akbar’s wish was fulfilled.
(अकबर और तानसेन हिमालय में स्वामी जी के आश्रम उनका गाना सुनने के लिए गए | वे वहां कई दिनों तक ठहरे लेकिन उन्होंने नहीं गाया | इसलिए तानसेन ने अपने गुरु को गाने के लिए प्रेरित करने के लिए एक चाल चली | उन्होंने जानबूझकर गलत स्वर गाया | उनके गुरु यह सहन न कर सके | उन्होंने तानसेन को फटकारा कि उनका शिष्य भी ऐसा बेहूदापन कर सकता हिया उर स्वयं गाने लगे | इस प्रकार अकबर की इच्छा पूरी हो गई)
Q7. What was the difference in the singing of Hari Das and Tansen?
(हरीदास और तानसेन के गाने में क्या अंतर था?)
Ans.
Music of Tansen: Tansen was the great musician in Akbar’court. Akbar was very fond of his music. One day when Tansen gave a very good performance, Akbar went into ecstasy. He felt that Tansen’s music took him out of this world and transported him to diving regions.
(तानसेन का संगीत – तानसेन अकबर के दरबार के महान संगीतज्ञ थे | अकबर उनके संगीत के बहुत शौक़ीन थे | एक दिन जब तानसेन ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन दिखाया, अकबर परम आनंद ले लीन हो गए | उन्हें अनुभव हुआ की तानसेन का संगीत उनको इस संसार से बाहर निकालकर ईश्वरीय क्षेत्र में ले गया)
Music of Hari Das: When Akbar heard the music of Swami Hari Das, he forgot himself in the sheer melody and charm of the music. Akbar said that Tansen’s music seemed to be only chaff beside Swami’s soul-stirring music.
(हरिदास का संगीत – जब अकबर ने स्वामी हरिदास का संगीत सुना, तो वे संगीत से ओत-प्रोत लय-माधुर्य तथा जादू में स्वयं को भूल गए | अकबर ने कहा कि तानसेन का संगीत स्वामी जी के ह्रदय को झकझोरने वाले संगीत के सामने केवल भूसा लगता है)
Difference in the singing of Hari Das and Tansen: Tansen said that he (Tansen) sang to the emperor’s bidding but he (Hari Das) sand only when prompting came from his innermost self. That made all the difference.
(हरिदास और तानसेन के गाने में अंतर – तानसेन ने कहा कि वे सम्राट के आदेश पर गाते थे, परन्तु उनके गुरु तभी गाते हैं जब उनके ह्रदय की असीम गहराई में अंत:प्रेरणा उत्पन्न होती है | यदि अंतर का कारण था)
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