
LLB 1st Semester Syllabus in Hindi
LLB 1st Semester Syllabus in Hindi: इस पेज पर LLB (Bachelor of Law) के छात्रों के लिए First Semester के सभी पेपर्स का लेटेस्ट सिलेबस हिन्दी में दिया गया है | यहाँ पेपर में दिए गये प्रत्येक यूनिट को विस्तार से समझाया गया है |
प्रथम सेमेस्टर में “Introduction to the Indian Legal System” पेपर पढाया जाता है जिसमें 8 यूनिट (चैप्टर्स) हैं | यह पेपर कुल 100 नंबर का होता है जिसमे से 75 मार्क्स लिखित परीक्षा में मिलते हैं | न्यूनतम पासिंग मार्क 33 होता है |
LLB 1st Semester Syllabus in Hindi
इस सेक्शन में सिलेबस में दिए गये यूनिट्स का लिस्ट दिया गया है | इस पाठ्यक्रम के अंत तक, आप विभिन्न विधिक प्रणालियों की रूपरेखा को समझने में सक्षम होंगे और भारतीय विधिक एवं न्याय प्रणाली के संस्थानों के बारे में जान सकेंगे।
आप आपराधिक न्याय के विभिन्न घटकों से परिचित हो जाएंगे और भारत में कानूनी सहायता और वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र तक पहुँच के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही, आप कानूनी सहायता से संबंधित संवैधानिक और सांविधिक प्रावधानों के बारे में भी जानेंगे।
आपको अपने कोर्स में इन टॉपिक्स को पढना होगा |
1️⃣ भारत में विधिक प्रणाली का विकास (Evolution of the Legal System in India)
- प्राचीन भारत, पूर्व-औपनिवेशिक और औपनिवेशिक न्याय प्रणाली (Ancient, Pre-Colonial, and Colonial Justice System)
- धर्म और कानून (Dharma and Law)
- विभिन्न विधिक प्रणालियाँ: कॉमन लॉ, सिविल लॉ, समाजवादी और इस्लामिक विधिक प्रणाली (Common Law, Civil Law, Socialist, and Islamic Legal System)
2️⃣ राज्य और उसके अंग (State and its Organs)
- राज्य के तीन प्रमुख अंग: कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका (Executive, Legislature, and Judiciary)
- पंचायत संस्थाएँ और प्रशासनिक न्याय (Panchayat Institutions and Administrative Justice)
- न्यायालयों की संरचना: उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय (Hierarchy of Courts: High Courts and Supreme Court)
3️⃣ भारतीय न्याय प्रणाली (Justice System in India)
- प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक न्याय व्यवस्था (Judicial System in Ancient, Medieval, and Modern India)
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय (Social, Economic, and Political Justice)
- सिविल और क्रिमिनल न्याय प्रणाली (Civil and Criminal Justice System)
4️⃣ दंड और दंडात्मक सिद्धांत (Punishment and Theories of Punishment)
- दंड का अर्थ, उद्देश्य और सिद्धांत (Meaning, Purpose, and Theories of Punishment)
- प्राचीन और आधुनिक दंड प्रणाली (Punishment in Ancient and Modern Times)
5️⃣ आपराधिक विधिक प्रणाली (Criminal Legal System)
- प्राथमिकी (FIR), गिरफ्तारी (Arrest), जमानत (Bail), तलाशी और जब्ती (Search and Seizure)
- साक्ष्य विधि के सिद्धांत: सर्वश्रेष्ठ साक्ष्य नियम और डाइंग डिक्लेरेशन (Principles of Evidence Law: Best Evidence Rule and Dying Declaration)
6️⃣ आपराधिक मामलों की प्रक्रिया (Procedure in Criminal Cases)
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और अन्य संबंधित कानून (Criminal Procedure Code and Related Laws)
- पुलिस की भूमिका, विवेचना और अभियोजन एजेंसियाँ (Role of Police, Investigation, and Prosecution Agencies)
7️⃣ वैकल्पिक विवाद निपटान प्रणाली (Alternative Dispute Resolution – ADR)
- आर्बिट्रेशन, कंसिलिएशन, मेडिएशन और नेगोशिएशन (Arbitration, Conciliation, Mediation, and Negotiation)
- अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक आर्बिट्रेशन और विदेशी निर्णयों की स्वीकार्यता (International Commercial Arbitration and Foreign Awards)
8️⃣ कानूनी सहायता (Legal Aid)
- विधिक सहायता की अवधारणा और आवश्यकता (Concept and Need for Legal Aid)
- विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 (Legal Services Authorities Act, 1987)
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) और इसकी भूमिका (National Legal Services Authority and Its Role)
हम इन टॉपिक्स और अगले सेक्शन में विस्तार से समझेंगे |
LLB 1st Semester Syllabus in Hindi (Explanation)
इस सेक्शन में एल.एल.बी. फर्स्ट सेमेस्टर के सिलेबस में दिए गये प्रत्येक यूनिट (चैप्टर) और टॉपिक को उदाहरण के साथ समझाया गया है |
1. भारत में विधिक प्रणाली का विकास (Evolution of the Legal System in India)
भारत की कानूनी प्रणाली समय के साथ विकसित हुई है। प्राचीन काल में न्याय धर्मशास्त्रों और राजा के निर्णयों पर आधारित था, जबकि औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश शासन ने कानूनी प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किए।
उदाहरण:
- मनु स्मृति में न्याय से संबंधित नियमों का उल्लेख मिलता है।
- ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय दंड संहिता, 1860 (Indian Penal Code, 1860) लागू किया गया, जो आज भी उपयोग में है।
- स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान लागू किया गया, जो भारत की सर्वोच्च विधिक व्यवस्था बना।
2. राज्य और उसके अंग (State and its Organs)
लोकतंत्र में सरकार के तीन प्रमुख अंग होते हैं: कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। यह विभाजन सत्ता के संतुलन को बनाए रखता है।
उदाहरण:
- संसद (Parliament) भारत में विधायिका का प्रतिनिधित्व करती है और कानून बनाती है।
- प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यपालिका का नेतृत्व करते हैं, जो कानूनों को लागू करता है।
- सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट न्यायपालिका का हिस्सा हैं, जो कानून की व्याख्या करते हैं।
3. भारतीय न्याय प्रणाली (Justice System in India)
न्याय प्रणाली का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को न्याय दिलाना है। भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र है और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करती है।
उदाहरण:
- विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (Vishakha v. State of Rajasthan, 1997) – इस मामले में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए दिशानिर्देश दिए गए।
- लोक अदालतें (Lok Adalats) छोटे मामलों के त्वरित समाधान के लिए स्थापित की गई हैं।
- जनहित याचिका (PIL) का उपयोग आम नागरिकों द्वारा किया जाता है ताकि न्यायालय से सार्वजनिक महत्व के मामलों में हस्तक्षेप की मांग की जा सके।
4. दंड और दंडात्मक सिद्धांत (Punishment and Theories of Punishment)
कानून अपराधियों को दंडित करने के लिए विभिन्न दंडात्मक सिद्धांतों का पालन करता है। इनमें सुधारात्मक, निवारक और प्रतिशोधात्मक दंड शामिल हैं।
उदाहरण:
- सुधारात्मक न्याय में दोषियों को पुनर्वासित करने की कोशिश की जाती है, जैसे नशीली दवाओं के अपराधियों के लिए पुनर्वास केंद्र।
- निवारक दंड, जैसे सख्त यातायात नियम और जुर्माने, अपराध रोकने के लिए लागू किए जाते हैं।
- प्रतिशोधात्मक दंड, जैसे मृत्युदंड, गंभीर अपराधों के लिए दिया जाता है।
5. आपराधिक विधिक प्रणाली (Criminal Legal System)
अपराधों को रोकने और अपराधियों को दंडित करने के लिए भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित की गई है।
उदाहरण:
- एफआईआर (FIR) दर्ज करने की प्रक्रिया अपराध की शिकायत करने का पहला चरण है।
- सीआरपीसी (CrPC) में पुलिस जांच और न्यायिक प्रक्रिया के नियम बताए गए हैं।
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act, 1872) साक्ष्य को प्रस्तुत करने और उसकी वैधता निर्धारित करने के लिए लागू किया गया।
6. वैकल्पिक विवाद निपटान प्रणाली (Alternative Dispute Resolution – ADR)
कई कानूनी विवादों का समाधान अदालत के बाहर भी किया जा सकता है, जिसे ADR कहा जाता है।
उदाहरण:
- मध्यस्थता (Mediation) के जरिए पक्षकार आपसी समझौते से विवाद सुलझाते हैं।
- उद्योगों के विवाद समाधान के लिए कॉर्पोरेट आर्बिट्रेशन किया जाता है।
- ग्राहक विवादों के लिए उपभोक्ता संरक्षण फोरम में मामला दाखिल किया जाता है।
7. कानूनी सहायता (Legal Aid)
कानूनी सहायता उन लोगों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और न्याय पाने में असमर्थ हैं।
उदाहरण:
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) गरीब नागरिकों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करता है।
- सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में कानूनी सहायता समितियाँ बनाई गई हैं।
- प्रभावित महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष कानूनी सहायता केंद्र स्थापित किए गए हैं।
अगर आपको किसी टॉपिक को समझने में समस्या हो तो कमेंट करके हमें बताएं |
LLB Notes in Hindi PDF
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