10th Physics notes in Hindi
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10th Physics notes in hindi -: यह भौतिक विज्ञान नोट्स कक्षा 10 के विद्यार्थियों के लिए बनाये गएँ हैं | इस लेख में हाई स्कूल भौतिक विज्ञानं के सभी अध्याय से नोट्स बनाये गए हैं | यह विज्ञानं नोट्स केवल रिवीजन के लिए बनाये गए हैं | यह नोट पॉलिटेक्निक प्रवेश परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के लिए भी बहुत उपयोगी है | आप इस Physics notes को pdf में भी download कर सकते हैं | pdf डाउनलोड लिंक इस पेज में सबसे नीचे दिया गया है |
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Chapter 1 : Reflection of Light
1- प्रकाश एक तरह की उर्जा है , जो हमारी आँखों को संवेदित करती है |
2- निर्वात में प्रकाश की चाल 3×108 मी/से होती है |
3- जो वस्तुएं प्रकाश उत्पन्न करती हैं , उन्हें प्रदीप्त वस्तुएं कहते हैं | जैसे – सूर्य, विद्युत् बल्ब , मोमबत्ती इत्यादि |
4- जो वस्तुएं खुद प्रकाश उत्पन्न नहीं करती हैं उन्हें अप्रदीप्त वस्तुएं कहते हैं | जैसे – चंद्रमा , पृथ्वी , पहाड़ इत्यादि |
5- दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 7800 A0 से 3900 A0 तक होती है |
6- प्रकाश एक स्थान से दुसरे स्थान तक विद्युत् चुम्बकीय तरंगो के रूप में गति करता है |
7- किसी सतह से टकराकर प्रकाश का वापस अपने मार्ग में लौटना ‘परावर्तन’ कहलाता है |
8- जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से टकराकर अपने मार्ग से विचलित हो जाता है तो यह क्रिया ‘अपवर्तन’ कहलाती है |
9- निर्वात में प्रकाश की चाल सबसे अधिक होती है |
10- जिस माध्यम से होकर प्रकाश गुजरता है , उसे प्रकाशिक माध्यम कहते हैं |
11- जिस माध्यम से होकर प्रकाश आर-पार निकल जाता है , उसे पारदर्शी माध्यम कहते हैं | जैसे – हवा , कांच इत्यादि
12- जिस माध्यम से होकर प्रकाश का केवल कुछ भाग ही निकल पाता है , उसे पारभासक माध्यम कहते हैं | जैसे – पानी , हल्के कपडे इत्यादि
13- जिस माध्यम से होकर प्रकाश नहीं निकल सकता है , उसे अपारदर्शी माध्यम कहते हैं | जैसे – लकड़ी , मिट्टी इत्यादि
14- यदि किसी स्थान से आकर प्रकाश किरण एक ही बिंदु पर मिलती हों , तो उन किरणों को अभिसारी किरण कहेंगे |
15- यदि प्रकाश किरण एक ही बिंदु से आ रही हों , तब उन किरणों को अपसारी किरण कहेंगे | यह अभिसारी किरणों के विपरीत होती हैं |
16- यदि प्रकाश किरण एक दुसरे के समान्तर हों , तो इस तरह की किरणों को समान्तर किरण कहेंगे |
17- जिस सतह से प्रकाश का परावर्तन होता है , उसे परावर्तक तल कहते हैं |
18- प्रकाश के परावर्तन के दो नियम हैं –
i) आपतित किरण , अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तीनो एक ही तल में होते हैं |
ii) आपतन कोण तथा अपवर्तन कोण बराबर होते हैं |
19- परावर्तन के बाद यदि प्रकाश किरण किसी बिंदु पर वास्तव में मिलती हो, तो वास्तविक प्रतिबिम्ब प्राप्त होगा | इसे परदे पर प्राप्त किया जा सकता है |
20- यदि परावर्तन के बाद प्रकाश किरण किसी बिंदु पर वास्तव में नहीं मिलती हों बस मिलती हुई प्रतीत हों , तब प्राप्त होने वाला प्रतिबिम्ब आभासी होगा | इसे परदे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है | इसका केवल फोटो लिया जा सकता है |
10th Physics notes in Hindi
21- अवतल दर्पण से प्रकाश का परावर्तन दबे हुए भाग से होता है |
22- उत्तल दर्पण से प्रकाश का परावर्तन उभरे हुए तल से होता है |
23- अवतल दर्पण की फोकस दुरी ऋणात्मक होती है |
24- उत्तल दर्पण की फोकस दुरी धनात्मक होती है |
25- गोलीय दर्पण की फोकस दुरी दर्पण के वक्रता त्रिज्या की आधी होती है |
26- अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
i) जब वस्तु अनंत पर होगी तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बहुत छोटा बनेगा |
ii) जब वस्तु अनंत तथा वक्रता केंद्र के बीच स्थित हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच वास्तविक उल्टा तथा वस्तु से छोटा बनेगा |
iii) जब वस्तु दर्पण के वक्रता केंद्र पर स्थित होगी तब प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केंद्र पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु के बराबर बनेगा |
iv) जब वस्तु वक्रता केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच स्थित होगी , तब प्रतिबिम्ब अनंत तथा वक्रता केंद्र के बीच वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बड़ा बनेगा |
v) जब वस्तु दर्पण के मुख्य फोकस पर रखा हो , तब प्रतिबिम्ब अनंत पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बहुत बड़ा बनेगा |
vi) जब वस्तु दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच स्थित हो , तब प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे आभासी , सीधा तथा वस्तु से छोटा बनेगा |
27)- उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
i) वस्तु की प्रत्येक स्थिति के लिए उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब आभासी , सीधा तथा वस्तु से छोटा होता है |
28- गोलीय दर्पण के बायीं ओर की तथा मुख्य अक्ष से उपर की दूरियां ऋणात्मक होती हैं |
29- गोलीय दर्पण के दायीं ओर की तथा मुख्य अक्ष से नीचे की दूरियां धनात्मक होती हैं |
30- दर्पण की फोकस दुरी , दर्पण से वस्तु की दुरी तथा दर्पण से प्रतिबिम्ब की दुरी के बीच सम्बन्ध –
31- प्रतिबिम्ब की लम्बाई(I) तथा वस्तु की लम्बाई(O) के अनुपात को प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन(m) कहते हैं |
अथवा
प्रतिबिम्ब की दर्पण से दुरी तथा वस्तु की दर्पण से दुरी के अनुपात को प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन कहते हैं |
अत:
नोट :- आवर्धन का कोई मात्रक नहीं होता |
32- दाढ़ी बनाने , आँख – कान – नाक – मुह इत्यादि की जाँच करने , टेबिल लैम्प में , गाडियों के मुख्य लाइट में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है |
33- सड़को पर लगे हुए लैम्पों में , गाडियों में ड्राईवर की सीट की बगल में उत्तल दर्पण का उपयोग किया जाता है |
34- उन दो बिन्दुओं को जिनमे किसी एक बिंदु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दुसरे बिंदु पर बने , संयुग्मी फोकस कहलाते हैं |
35- संयुग्मी फोकस केवल उत्तल दर्पण में ही संभव है , अवतल दर्पण में नहीं |
Chapter 2 : Refraction of Light
36- अपवर्तन के दो नियम हैं –
i) आपतित किरण , अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खिंचा गया अभिलम्ब , तीनो एक ही तल में होते हैं |
ii) किन्ही दो माध्यमों के बीच अपवर्तन में , एक रंग के प्रकाश के लिए आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) परस्पर समानुपाती होते हैं | यह नियम ‘स्नैल का नियम ‘ भी कहलाता है |
या
जहाँ ‘n’ समानुपाती नियतांक है , जिसे अपवर्तनांक कहते हैं |
37- निर्वात के सापेक्ष किसी माध्यम का अपवर्तनांक ‘निरपेक्ष अपवर्तनांक’ कहलाता है |
38- एक माध्यम के सापेक्ष दुसरे माध्यम का अपवर्तनांक ‘1n2 ’ से प्रदर्शित किया जाता है |
39- जब प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है , तो अभिलम्ब की ओर झुक जाती है |
40- जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है , तो अभिलम्ब से दूर हट जाती है |
41- क्रांतिक कोण में अपवर्तित किरण समकोण के बराबर होता है |
42- क्रांतिक कोण तभी संभव है , जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल में जा रही हो |
43- पूर्ण आंतरिक परावर्तन में प्रकाश किरण जिस माध्यम से आती है , उसी माध्यम में वापस लौट जाती है |
44- पूर्ण आंतरिक तभी संभव है , जब आपतित किरण का मान क्रांतिक कोण से बड़ा हो तथा प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाये |
45- कांच में पड़ी दरार पूर्ण क्रांतिक परावर्तन के कारण चमकता है |
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46- हीरा पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण चमकता है |
47- रेगिस्तान की मरीचिका तथा ठन्डे प्रदेशों की मरीचिका पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण संभव है |
48- अपवर्तनांक तथा क्रांतिक कोण में सम्बन्ध –
49- एक विशेष आपतन कोण के लिए प्रिज्म का विचलन कोण न्यूनतम हो जाता है , जिसे अल्पतम विचलन कोण कहते हैं |
50- प्रिज्म पारदर्शी कांच से बना होता है , जो सफ़ेद प्रकाश को उन्हें अवयवी रंगों में बाँट देता है |
51- प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक –
52- प्रिज्म से उत्पन्न विचलन –
53- प्रिज्म द्वारा विक्षेपित रंगों का सही क्रम याद रखने के लिए ‘VIBGYOR‘ का प्रयोग किया जाता है | ‘VIBGYOR‘ रंगों के अंग्रेजी नाम के पहले अक्षर को जोड़कर बनाया गया है |
54- लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होता है तथा बैगनी रंग के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है |
55- लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है , इसलिए खतरे का निशान लाल रंग का होता है , ताकि वह दूर तक दिखाई दे |
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56- बैगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है , इसलिए आकाश का रंग नीला होता है , क्योकि बैगनी रंग चारो ओर फ़ैल जाता है |
57- प्रिज्म द्वारा वर्ण विक्षेपण की घटना इसलिए होती है , क्योकि कांच का अपवर्तनांक अलग-अलग रंगों के लिए अलग-अलग होता है |
58- कांच का अपवर्तनांक लाल रंग के प्रकाश के लिए सबसे कम होता है , इसलिए लाल रंग का प्रकाश सबसे कम विचलित होता है |
59- कांच का अपवर्तनांक बैगनी रंग के प्रकाश के लिए सबसे अधिक होता है , इसलिए बैगनी रंग का प्रकाश सबसे अधिक विचलित होता है |
60- जब प्रकाश की ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमे बहुत सारे छोटे-छोटे कण उपस्थित होते हैं (जैसे – हवा ) तो प्रकाश उन कणों से टकराकर सभी दिशाओं में फ़ैल जाता है | यह क्रिया प्रकीर्णन कहलाता है |
61- प्रकीर्णन के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का रंग लाल होता है |
62- इन्द्रधनुष भी एक प्रकार का प्रिज्म है , जो प्रकृति द्वारा बनाया जाता है |
Chapter 3 : Lens
63- लेंस दो दर्पणों को मिलाकर बनाया जाता है |
64- लेंस की क्षमता डायोप्टर(D) में मापी जाती है |
65- लेंस में दो फोकस दूरियां होती हैं | पहली फोकस दुरी को प्रथम मुख्य फोकस (F1) तथा दूसरे मुख्य फोकस को द्वितीय मुख्य फोकस(F2) कहते हैं |
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66- उत्तल लेंस अभिसारी लेंस होता है , जबकि अवतल लेंस अपसारी होता है |
67- उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
i) जब वस्तु अनंत पर होगी तब वस्तु का प्रतिबिम्ब द्वितीय फोकस पर , वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बहुत छोटा बनेगा |
ii) जब वस्तु , लेंस की फोकस दुरी के दो गुनी दुरी से अधिक दुरी पर स्थित होगी , तब वस्तु का प्रतिबिम्ब द्वितीय फोकस दुरी तथा दोगुनी द्वितीय फोकस दुरी के बीच उल्टा , वास्तविक तथा वस्तु से छोटा बनेगा |
iii) जब वस्तु दोगुनी फोकस दुरी पर स्थित होगी तब , वस्तु का प्रतिबिम्ब दर्पण के दोगुनी द्वितीय फोकस दुरी पर उल्टा , वास्तविक तथा वस्तु के बराबर आकार की बनेगी |
iv)जब वस्तु फोकस दुरी तथा दोगुनी फोकस दुरी के बीच स्थित होगी तब , प्रतिबिम्ब दोगुनी द्वितीय फोकस दुरी से दूर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बड़ा बनेगा |
v) जब वस्तु लेंस के प्रथम मुख्य फोकस पर स्थित होगी तब , प्रतिबिम्ब लेंस की दूसरी तरफ अनंत पर वस्तु से बहुत बड़ा तथा वास्तिक बनेगा |
vi) जब वस्तु लेंस की प्रथम फोकस तथा लेंस के बीच रखी हो तब पप्रतिबिम्ब वस्तु के पीछे लेंस के प्रथम मुख्य फोकस दुरी तथा दोगुनी प्रथम मुख्य फोकस के बीच सीधा , आभासी तथा वस्तु से बहुत बड़ा बनेगा |
68- अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
i) वस्तु की किसी भी स्थिति के लिए प्रतिबिम्ब प्रथम मुख्य फोकस तथा लेंस के बीच आभासी , सीधा तथा वस्तु से छोटा बनेगा |
69- लेंस की फोकस दुरी , लेंस से वस्तु की दुरी तथा लेंस से प्रतिबिम्ब की दुरी के बीच सम्बन्ध –
70- लेंस का रेखीय आवर्धन भी दर्पण के रेखीय आवर्धन के समान होता है |
71- लेंस द्वारा प्रकाश किरण को मोड़ने की शक्ति को लेंस की क्षमता कहते हैं | जो लेंस जितता अधिक प्रकाश मोड़ता है , उसकी क्षमता भी उतना अधिक होती है |
72- लेंस की क्षमता तथा लेंस की फोकस दुरी में सम्बन्ध –
74- आँख उअर कान की जाँच करने के लिए डॉक्टर उत्तल लेंस का उपयोग करते हैं |
75- सूक्ष्मदर्शी , दूरदर्शी तथा कैमरे में उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है |
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76- निकट दृष्टि दोष में अवतल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है |
77- दूर दृष्टि दोष में उत्तल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है |
Chapter 4 : Human Eye And Defects of Vision
78- मनुष्य की आँखों का लेंस उत्तल लेंस होता है |
79- नेत्र में प्रकाश किरण कार्निया से होकर प्रवेश करती है |
80- मानव नेत्र में पुतली का कार्य प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करना होता है |
81- नेत्र लेंस का अपवर्तनांक लगभग 1.44 होता है |
82- मानव नेत्र में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है |
83- रेटिना के जिस बिंदु पर बना प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखाई देता है उसे ‘पीत बिंदु’ कहते हैं |
84- रेटिना के जिस बिंदु पर बना प्रतिबिम्ब दिखाई नहीं देता उसे ‘अन्ध बिंदु’ कहते हैं |
85- मानव नेत्र के लेंस में अपनी फोकस दुरी बदलने की क्षमता होती है , इसे ‘समंजन क्षमता’ कहते हैं |
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86- मानव नेत्र का दृष्टि विस्तार 25 सेमी० से अनंत तक होता है |
87- मानव नेत्र के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दुरी 25 सेमी० होती है |
88- मानव नेत्र के लिए स्पष्ट दृष्टि की अधिकतम दुरी अनंत होती है |
89- मानव नेत्र में दंण्डाकार तथा शंक्वाकार कोशिकाएं (Cells) पाई जाती हैं |
90- दंण्डाकार कोशिकाएं प्रकाश की त्रिवता बताने के लिए होती हैं | तथा शंक्वाकार कोशिकाएं प्रकाश के रंगों की पहचान करती हैं |
91- जिन लोगों को वर्णान्धता होता है , उनकी आँखों में शंक्वाकार कोशिकाएं कम होती हैं | इसलिए वह रंगों की पहचान नहीं कर पाते हैं |
92- उल्लू की आँखों में दंण्डाकार कोशिकाएं अधिक पाई जाती हैं , इसलिए उन्हें रात को भी आसानी से दिखाई देता है |
93- मानव नेत्र में उत्पन्न दृष्टि दोष का मुख्य कारण नेत्र की समंजन क्षमता कमजोर होना है |
94- निकट दृष्टि दोष(Myopia) में दूर की वस्तुएं नहीं दिखाई देती हैं |
95- निकट दृष्टि दोष मुख्यतः नेत्र लेंस तथा रेटिना के बीच दुरी बढ़ जाने की वजह से होता है |
96- निकट दृष्टि दोष के निवारण के लिए अवतल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है |
97- दूर दृष्टि दोष में निकट की वस्तुएं नहीं दिखाई देती हैं |
98- दूर दृष्टि दोष का मुख्य कारण नेत्र लेंस तथा रेटिना के बीच की दुरी कम होना है |
99- दूर दृष्टि दोष के निवारण के लिए उत्तल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है |
100- जरा दृष्टि दोष में भी उत्तल लेंस के समान निकट की वस्तुएं नहीं दिखाई देती हैं |
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101- जरा दृष्टि दोष का मुख्य कारण नेत्र की समंजन क्षमता का कम हो जाना है |
102- जरा दृष्टि दोष के निवारण के लिए उत्तल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है |
103- दृष्टि दोष में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर उससे आगे या पीछे बनता है |
Chapter 5 : Microscope and Telescope
104- किसी वस्तु द्वारा आँखों पर बना कोण ‘दर्शन कोण’ कहलाता है |
105- जब प्रतिबिम्ब अनंत पर बने , तब सरल सूक्ष्मदर्शी(आवर्धक लेंस) की आवर्धन क्षमता –
106- जब प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दुरी(D) तब सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता –
107- सरल सूक्ष्मदर्शी में कम फोकस दुरी का एक उत्तल लेंस लगा होता है |
108- सयुंक्त सूक्ष्मदर्शी में दो उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है |
109- जो लेंस वस्तु को ओर होता है , उसे ‘अभिदृश्यक लेंस’ तथा जो लेंस नेत्र को ओर होता है , ‘अभिनेत्र लेंस’ या ‘नेत्रिका’ कहते हैं |
110- अभिदृश्यक लेंस कम फोकस दुरी का होता है , जबकि नेत्रिका या अभिनेत्र लेंस की फोकस दुरी अधिक होती है |
111- यदि अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम पर बने , तब सयुंक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता –
जहाँ V० – अभिदृश्यक लेंस से प्रतिबिम्ब की दुरी
U० – अभिदृश्यक लेंस से वस्तु की दुरी
D – स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दुरी
fe – अभिनेत्र लेंस की फोकस दुरी
112- यदि अंतिम प्रतिबिम्ब अनंत पर बने , तब सयुंक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता –
जहाँ V० – अभिदृश्यक लेंस से प्रतिबिम्ब की दुरी
U० – अभिदृश्यक लेंस से वस्तु की दुरी
fe – अभिनेत्र लेंस की फोकस दुरी
113- खगोलीय दूरदर्शी का अविष्कार गैलिलियो ने किया था |
114- खगोलीय दूरदर्शी में अभिदृश्यक लेंस की फोकस दुरी अधिक होती है तथा अभिनेत्र लेंस की फोकस दुरी कम होती है |
115- यदि अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दृष्टि की न्यूनतम पर बने तब दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता –
जहाँ f० – अभिदृश्यक लेंस की फोकस दुरी
fe – अभिनेत्र लेंस की फोकस दुरी
D – स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दुरी
116- यदि प्रतिबिम्ब अनंत पर बने तब दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता –
117- जब प्रतिबिम्ब अनंत दुरी पर बने तब दूरदर्शी की लम्बाई ( f० + fe) होगी |
Chapter 6 : Electricity
118- विद्युत् एक प्रकार की उर्जा है , जिससे हम टेलीविजन , बल्ब , पंखा इत्यादि वस्तुएं चलाते हैं |
119- विद्युत् सेल रासायनिक उर्जा को विद्युत् उर्जा में बदलता है |
120- सौर पैनेल सौर उर्जा को विद्युत् उर्जा में बदलता है |
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121- विद्युत् हीटर विद्युत् उर्जा को उष्मीय उर्जा में बदलता है |
122- विद्युत् बल्ब विद्युत् उर्जा को प्रकाशीय उर्जा में बदलता है |
123- डायनमो यांत्रिक उर्जा को विद्युत् उर्जा में बदलता है |
124- विद्युत् मोटर विद्युत् उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलता है |
125- माइक्रोफोन ध्वनि उर्जा को विद्युत् उर्जा में बदलता है |
126- विद्युत् आवेश के प्रवाह की दर को ‘विद्युत् धारा’ कहते हैं |
127- विद्युत् धारा का मात्रक एम्पियर (A) होता है |
128- किसी परिपथ में विद्युत् धारा का प्रवाह इलेक्ट्रानों के प्रवाह के विपरीत दिशा में होता है |
129- विद्युत् धारा मापने के लिए ‘अमीटर’ का उपयोग किया जाता है |
130- विद्युत् धारा तथा समय का गुणनफल आवेश के बराबर होता है |
q = I.t
131- विद्युत् आवेश का मात्रक कुलाम होता है |
132- किसी विद्युत् क्षेत्र में एक आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में जितना कार्य करना पड़ता है , उसे विद्युत् विभव कहते हैं |
133- विद्युत् विभव का मात्रक ‘वोल्ट’ होता है |
134- किसी विद्युत् क्षेत्र में दो बिन्दुओ के बीच के विभवों का अंतर विभवान्तर कहलाता है | इसका मात्रक भी ‘वोल्ट’ होता है |
135- वे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत् धारा सुगमता पूर्वक प्रवाहित हो जाती है , चालक पदार्थ कहलाते हैं | जैसे – सभी धातुएं , पृथ्वी , जल इत्यादि |
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136- वे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत् धारा प्रवाहित नहीं हो सकती , अचालक पदार्थ कहलाते हैं | जैसे – लकड़ी , रबर , प्लास्टिक इत्यादि |
137- ऐसे पदार्थ जिनमे चालक तथा अचालक , दोनों के गुण पाए जाते हैं , अर्द्धचालक कहलाते हैं | जैसे – आर्सेनिक , सिलिकन , जर्मेनियम इत्यादि |
138- ओम का नियम :- यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाओं (जैसे – लम्बाई, ताप इत्यादि) में परिवर्तन न किया जाये , तो उसके सिरों पर लगाया गया विभवान्तर तथा उसमें बहने वाली धारा का अनुपात नियत रहता है |
या
जहाँ – R चालक का प्रतिरोध है
139- प्रतिरोध का मात्रक ‘ओम’ होता है |
140- किसी चालक प्रतिरोध उस चालक की लम्बाई , चालक के क्षेत्रफल , चालक के पदार्थ तथा चालक के ताप पर निर्भर करता है |
i) अगर चालक की लम्बाई बढाई जाये तो उसका प्रतिरोध बढ़ जायेगा |
ii) अगर चालक का क्षेत्रफल बढाया जाये तो उसका प्रतिरोध घट जायेगा |
iii) अलग-अलग पदार्थ के चालक के लिए अलग-अलग प्रतिरोध होगा |
iv) अगर चालक का ताप बढाया जाये तो उसपर लगने वाला प्रतिरोध भी बढ़ जायेगा |
141- अगर प्रतिरोधों का संयोजन श्रेणी क्रम में हो तो सभी प्रतिरोधों में धारा का मान समान रहेगा |
142- यदि दो प्रतिरोध R1 तथा R2 श्रेणी क्रम में जुड़ें हों , तब उनका तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2
143- अगर प्रतिरोधों का संयोजन समान्तर क्रम में हो तो सभी प्रतिरोधों में समान विभवान्तर होगा |
144- यदि दो प्रतिरोध R1 तथा R2 समान्तर क्रम में जुड़ें हों , तब उनका तुल्य प्रतिरोध
Chapter 7 : Heating Effect of Electric Current
145- किसी चालक में विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर उसके ताप में होने वाली वृद्धि को विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहते हैं |
146- किसी चालक में विद्युत् प्रवाहित करने पर व्यय होने वाली उर्जा को विद्युत् उर्जा कहते हैं |
W = Vq जुल
W = VIt जुल
W = I2Rt जुल
147- उर्जा का सबसे छोटा मात्रक “इलेक्ट्रान वोल्ट” है |
148- 1 इलेक्ट्रान वोल्ट = 1.6 x 10-19 जुल
149- उर्जा का सबसे बड़ा मात्रक किलो-कैलोरी है |
150- विद्युत् हीटर विद्युत् धारा के उष्मीय प्रभाव पर आधारित है |
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151- 1 कैलोरी = 4.2 जुल
152- किसी परिपथ में विद्युत् उर्जा व्यय होने की दर को विद्युत् सामर्थ्य कहते हैं |
विद्युत् सामर्थ्य
जहाँ – W – विद्युत् उर्जा
t – समय
153- विद्युत् सामर्थ्य का मात्रक ‘जुल/सेकण्ड’ या ‘वाट’ होता है |
154- विद्युत् सामर्थ्य का सबसे छोटा मात्रक ‘वाट’ तथा सबसे बड़ा मात्रक ‘किलोवाट’ होता है |
155- ‘अश्व शक्ति’ या “हॉर्सपावर” विद्युत् शक्ति का मात्रक है |
156-
W = VIt
P = VI वाट
157- घरों में विद्युत् उर्जा की माप ‘यूनिट’ में होती है |
158- 1 वाट-घंटा = 3600 जुल
159- 1 किलोवाट-घंटा = 3.6 x 106 जुल
160- विद्युत् बल्ब विद्युत् धारा के उष्मीय प्रभाव पर आधारित है |
161- विद्युत् बल्ब का तंतु “टंग्स्टन” का बना होता है | क्योकि टंग्स्टन का गलनांक उच्च होता है |
162- विद्युत् बल्ब में निष्क्रिय गैस (जैसे – आर्गन , नाइट्रोजन इत्यादि) भरी होती हैं |
163- विद्युत् इस्त्री तथा विद्युत् हीटर में नाइक्रोम के तार का उपयोग किया जाता है |
164- विद्युत् फ्यूज सीसा तथा टिन के मिश्रण का बना होता है |
165- एक अच्छे फ्यूज तार का गलनांक कम होता है |
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166- विद्युत् फ्यूज परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है |
167- विद्युत् फ्यूज तथा स्विच हमेशा फेज तार में ही लगाया जाता है |
168- यदि किसी परिपथ में t सेकंड में n इलेक्ट्रान प्रवाहित हो रहे हों तथा इलेक्ट्रान पर आवेश e है , तो परिपथ में कुल आवेश
\( q = ne \) कुलाम
Chapter 8 : Magnetic Effect of Electric Current
169- जब किसी परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित किया जाता है , तो उसके चारो तरफ एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है , इस घटना को विद्युत् धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहते हैं |
170- किसी चुम्बक के चारो ओर का वह क्षेत्र जिसमें चुम्बकीय बल का अनुभव किया जा सके चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है |
171- चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए चुम्बकीय सुई का उपयोग किया जाता है |
172- चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र –
जहाँ – F – चुम्बकीय बल का परिमाण
B – चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
i – विद्युत् धारा
l – चालक की लम्बाई
Θ – चुम्बकीय क्षेत्र तथा विद्युत् धारा के बीच का कोण
173- चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक “टेस्ला” या “बेबर-मी-2” होता है |
174- किसी चुम्बक में चुम्बकीय बल रेखाओं के गति की दिशा दक्षिणी ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है |
175- कभी भी दो चुम्बकीय बल रेखाएं एक दुसरे को काट नहीं सकती हैं , क्योकि अगर वह दोनों एक बिंदु पर काटेंगी तो एक ही बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएं हो जाएँगी | जोकि कभी संभव नहीं है |
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172- चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र –
जहाँ – F – चुम्बकीय बल का परिमाण
B – चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
i – विद्युत् धारा
l – चालक की लम्बाई
Θ – चुम्बकीय क्षेत्र तथा विद्युत् धारा के बीच का कोण
173- चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक “टेस्ला” या “बेबर-मी-2” होता है |
174- किसी चुम्बक में चुम्बकीय बल रेखाओं के गति की दिशा दक्षिणी ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है |
175- कभी भी दो चुम्बकीय बल रेखाएं एक दुसरे को काट नहीं सकती हैं , क्योकि अगर वह दोनों एक बिंदु पर काटेंगी तो एक ही बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएं हो जाएँगी | जोकि कभी संभव नहीं है |
10th Physics notes in Hindi
176- चुम्बकीय बल रेखा के किसी बिंदु पर खींचा गया स्पर्श रेखा उस बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बताती है |
177- किसी चुम्बकीय पदार्थ को विद्युत् की सहायता से चुम्बक में परिवर्तित करने की घटना को ‘विद्युत् चुम्बकत्व ‘ कहते हैं |
178- दाएं हाथ के अंगूठे का नियम , मैक्सवेल का दक्षिणावर्ती पेंच का नियम तथा दाएं हाथ की हथेली के नियम से विद्युत् बल रेखाओं की दिशा ज्ञात किया जाता है |
179- फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम तथा दाएं हाथ के अंगूठे के नियम से चालक पर लगने वाले बल की दिशा ज्ञात किया जाता है |
180- विद्युत् मोटर विद्युत् उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलता है |
181- बायो-सेवर्ट का नियम या “लाप्लास सूत्र”
182- μ0 को निर्वात की चुम्बकशिलता कहते हैं | इसका मान 4π X 10-7 होता है |
184- लारेन्ज बल
Chapteer 9 : Electro-Magnetic Induction
185- विद्युत् क्षेत्र में चालक के आवेशित होने की क्रिया को विद्युत् प्रेरण कहते हैं |
186- एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित किसी तल के लम्बवत गुजरने वाली सम्पूर्ण चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या को उस तल से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं |
187- चुम्बकीय फ्लक्स
188- चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक बेबर होता है |
189- फैराडे का पहला नियम -: जब किसी परिपथ से गुजरने वाली चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है, तो परिपथ में एक प्रेरित विद्युत् वाहक बल उत्पन्न हो जाता है , जिसका परिमाण चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तन के ऋणात्मक दर के बराबर होता है |
190- फैराडे का दूसरा नियम(लेन्ज का दूसरा नियम) -: परिपथ में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् वाहक बल अथवा प्रेरित धारा की दिशा हमेशा ऐसी होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है , जिससे वह स्वय उत्पन्न होती है |
10th Physics notes in Hindi
191- प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम प्रयोग किया जाता है |
192- विद्युत् जनित्र या प्रत्यावर्ती धारा डायनमो यांत्रिक उर्जा को विद्युत् उर्जा में बदलता है | यह विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है |
193- दिष्ट धारा (D.C) का परिमाण तथा दिशा स्थिर रहती है |
194- प्रत्यावर्ती धारा(A.C) का परिमाण तथा दिशा समय के साथ बदलता रहता है |
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View Comments (26)
Sir hme class 11 ka notes chahie
Sorry @Vishal, अभी 11वीं क्लास के लिए नोट्स तो अवेलेबल नहीं हैं, लेकिन आप इस साईट पर बुक्स डाउनलोड कर सकते हैं - https://upboardbooks.com/
धन्यवाद!
Syllabus of polytecnic exam
hey @Sunny, आप इस लिंक से पॉलिटेक्निक सिलेबस डाउनलोड कर सकते हैं - https://www.gkpad.com/2020/12/polytechnic-syllabus/
I'm not qualified in JEE mains so i am giving this entrance exam but i hadn't 10th notes
Thanks for giving this notes
You're welcome and I'm glad you found it helpful.
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What I am reading
Hey buddy I am very happy that this article helped you. Keep visiting!
Sir your documents are interesting but the course has changed. So, I therefore request you to send us new notes
Sure, I will and thanks for reminding me.
P. C. Ke Notes kaise download kru
Sorry I didn't understand you @Arun. What do you mean by "P.C"? Please clarify your question.
Hello sir i am student of 12th commerce mujhe business study ka notes chahia
Sorry @Jitesh we don't have Business Studies notes at this time. But In future we will surely work on it.
sir mane 12th me arts rakha ha lekin kuch problem ke karan par mujhe poltechnic ka exam dena ha to kya ma de sakta ha hu please mujhe bataie please
Yes you can. It doesn't depends on you stream. Any student of any stream can participate in this exam.
Ha
How download physics practical and chemistry book
You just have to search for Physics and Chemistry on this site. Just do that and you will be able to download them.
Sir mai 12 ka student hu mujhe chemistry k notes chahiye
Sir ma polytechnice ka exam dena vala hu please agar ap pa notes english ma ha to dadegia please
How I download the mode set of Polytechnic
@Ankit Thanks! for comment.
Polytechnic Model Set - Download
पॉलिटेक्निक परीक्षा की तैयारी कैसे करें - यहाँ पढ़ें
Mujha physics or chemistry ka all lesson chhau
@Satyam Thanks! for Comment.
पॉलिटेक्निक परीक्षा में कक्षा 9 और 10th के गणित और विज्ञान से सवाल आते हैं | मैंने class 10th का physics और chemistry नोट्स बनाया है जिन्हे आप डाउनलोड कर सकते हैं |
केमिस्ट्री नोट्स डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें - download
पॉलिटेक्निक परीक्षा की तैयारी कैसे करें यह जानने के लिए यह लेख पढ़ें - यहाँ पढ़ें
पॉलिटेक्निक परीक्षा का मॉडल पेपर्स डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें
Mai 10th ka Student hu
Aur mai polytechnic ka exam dene bale hai
Agar apke pas koi notes ho to batai.